
मुहावरा शब्द एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है–अभ्यास करना। मुहावरे वाक्य के अंश होते हैं। मुहावरों से सामान्य अर्थ नहीं बल्कि, विशेष अर्थ निकलता है। इनके प्रयोग से भाषा में सरसता व रोचकता आ जाती है। इनका प्रयोग वाक्यों में ही जाने वाली अन्य बातों के साथ जुड़कर होता है। वाक्यों में मुहावरों का प्रयोग किया जाता है, अर्थों का नहीं। हिंदी के कुछ विद्वान मुहावरा को वाग्धारा अथवा रोजमर्रा भी कहते है। किंतु प्रचलित भाषा में मुहावरा ही है।
1. अंग-अंग ढीला होना : बहुत थक जाना
आज इतनी भागदौड़ करनी पड़ी कि मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है। *आज सारा दिन बहुम काम था, अत: मेरा अंग-अंग ढीला हो गया है।
2. अंग-अंग मुसकाना : अति प्रसन्न होना
बेटे की अच्छी नौकरी लगने पर उसके माता-पिता का अंग-अंग मुसकाने लगा।
3. अंगारे उगलना : क्रोध करना
बिल्ली को दूध पीते देखकर शैलजा अंगारे उगलने लगी।
4. अंगूठा दिखाना : साफ मना करना
मैंने मुकेश से मदद मांगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।
5. अंधे की लकड़ी होना : असहाय व्यक्ति का एकमात्र सहारा होना
रमाकांत अपने वृद्ध माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है।
6. अक्ल का अंधा होना : मूर्ख
मोहन तो अक्ल का अंधा है, उसे अपना भला-बुरा भी दिखाई नहीं देता।
7. अक्ल का दुश्मन होना : मूर्ख
बबीता से कितनी बार कहा कि हमेशा अक्ल की दुश्मन मत बनो, समझदारी से काम लो किंतु वह सुनती ही नहीं।
8. अक्ल चकराना : कुछ समझ में न आना
परीक्षा में प्रश्न-पत्र को देखकर मेरी अक्ल चकराने लगी।
9.अक्ल पर पत्थर पड़ना : बुद्धि भ्रष्ट होना (बुद्धि से काम न लेना)
नीता की अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे जो सीमा जैसी चालक लड़की से मित्रता कर बैठी। * परीक्षा आने से पहले पढ़े नहीं, तब क्या अक्ल पर पत्थर पड़े थे।
10.अपना उल्लू सीधा करना : अपना मतलब निकालना (स्वार्थ पूरा करना)।
स्वार्थी लोग अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं। * रमेश को तो अपना उल्लू सीधा करना था अब वह शुभम से बात भी नहीं करता।
11. अपना-सा मुंह लेकर रह जाना : शर्मिंदा होना
झूठ पकड़े जाने पर वैशाली अपना-सा मुंह लेकर रह गई।
12. अपने पांवों पर आप कुल्हाड़ी मारना : अपना नुकसान खुद करना
रामपाल ने लगी लगाई नौकरी छोड़कर अपने पांवों पर आप कुल्हाड़ी मारी है।
13. अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना : अपनी प्रशंसा स्वयं करना
अंकिता को कभी किसी की प्रशंसा करते नहीं देखा वह सदा अपने मुंह मियां मिट्ठू बनती रहती है।
14. आंखें खुलना : होश आना
अब मैं तुम्हारी बातों में नही आऊंगा अब तो मेरी आंखें खुल गई हैं।
15. आंखें तरसना : किसी को देखने की तीव्र इच्छा होना
मोहन विदेश क्या गया उसे देखने के लिए उसके माता-पिता की आंखें तरस गईं।
16. आंखें फेर लेना : बदल जाना।
सरिता के अधिक अंक क्या आ गए उसने अपनी सहेलियों से भी आंखें फेर लीं। * बुरा वक्त आने पर अपने भी आंखें फेर लेते हैं।
17. आंखों का तारा होना : बहुत प्रिय।
बच्चे माता-पिता की आंखों के तारे होते हैं।
18. आंखों में धूल झोंकना : (धोखा देना)
चोर पुलिस की आंखों में धूल झोंककर गायब हो गया।
19. आकाश से बातें करना : बहुत ऊंचा होना
न्यूयॉर्क की इमारतें आकाश से बातें करती हैं।
20. आकाश-पाताल एक करना : बहुत परिश्रम करना।
दौड़ जीतने के लिए सुनंदा ने आकाश-पाताल एक कर दिया।
21. आकाश-पाताल का अंतर होना : बहुत अधिक अंतर होना
उन दोनों भाइयों के स्वभाव में आकाश-पाताल का अंतर है।
22. आग-बबूला होना : गुस्से से भर जाना
दफ्तर देर से आने पर बड़े बाबू मोहन पर आग-बबूला होने लगे।
23. आपे से बाहर होना : अत्यधिक क्रोध करना (क्रोध को वश में न रखना)।
छोटी-छोटी बातों पर आपे से बाहर होना अच्छी बात नहीं है। * अपनी मां के लिए अपमानजनक शब्द सुनकर देवेश आपे से बाहर हो गया।
24. आसमान सिर पर उठाना : बहुत शोर करना
अध्यापक के न होने के कारण सारी कक्षा ने आसमान सिर पर उठा रखा है।
25. आस्तीन का सांप होना : धोखेबाज होना
रोहित को पता नहीं था कि विजय आस्तीन का सांप निकलेगा।
26. इशारे पर नाचना : वश में होना।
आजकल तो पुलिस भी नेताओं के इशारे पर नाचती है।
27. ईंट का जवाब पत्थर से देना : दृष्ट से दुष्टता का व्यवहार करना
महेश ने रामपाल को धोखा दिया तो रामपाल ने भी ईंट जवाब पत्थर से दे दिया।
28. ईंट से ईंट बजाना : नष्ट-भ्रष्ट कर देना।
जांबाज सिपाहियों ने डाकुओं की ईंट से ईंट बजा दी।
29. ईद का चांद होना : कभी-कभी दिखाई देना (बहुत दिनों के बाद दिखाई देना)।
अरे, शालिनी तुम तो ईद का चांद हो गई हो। * अरे! अजय, तुम तो आजकल दिखाई ही नहीं देते; बिलकुल ईदा का चांद हो गए हो।
30. उंगली उठाना : किसी पर दोष लगाना
लोग महात्मा गांधी जैसे महापुरुष पर भी उंगली उठाने लगे हैं।
31. उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना : थोड़ा सहारा पाकर पूरा अधिकार जमाना।
मैंने तो रमेश को एक कमरा दिया था; उसने पुरी छत पर कब्जा जमाकर उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ने की बात सच कर दी।
32. उल्टी गंगा बहाना : नियम-विरुद्ध कार्य करना
तुम गरीब लोगों से चंदा मांगकर उल्टी गंगा क्यों बहा रहे हो?
33. ऊंट के मुंह में जीरा होना : आवश्यकता से कम वस्तु होना।
दिनभर परिश्रम करने वाले मजदूर के लिए दो रोटियां तो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
34. एक आंख से देखना : समान दृष्टि से देखना
अकबर सभी धर्मों को एक आंख से देखते थे।
35. एक और एक ग्यारह होना : एकता में शक्ति होना।
राम और श्याम के झगड़े पर मत जाओ। समय आने पर वे एक और एक ग्यारह हो जाते हैं।
36. एड़ी-चोटी का जोर लगाना : हरसंभव प्रत्यन्न करना
राकेश चाहे एड़ी चोटी का जोर लगा ले, पर शशांक का कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
37. कमर कसना : तैयार होना।
प्रधानमंत्री ने भारतीय सैनिकों से अपनी सीमाओं पर कमर कसकर रहने का आह्वान किया।
38. कलई खुलना : भेद खुलना।
नटवरलाल के पकड़े जाने से अनेक अपराधों की कलई खुल गई।
39. कलेजे का टुकड़ा होना : बहुत प्रिय होना।
बलराम माता-पिता के कलेजे का टुकड़ा है।
40. कांटे बिछाना : मुसीबत खड़ी करना।
विरोधी दलों ने सरकार के लिए पग-पग पर कांटे बिछाए किंतु सरकार ने बजट पास करा ही लिया।
41. कान पर जूं तक न रेंगना : कुछ प्रभाव न होना (कुछ भी असर न पड़ना)।
श्री कृष्ण ने दुर्योधन को बहुत समझाया किंतु उसके कानों पर जूं तक न रेंगी। * लाख समझाने पर भी रवि के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
42. कान भरना : चुगली करना
कान भरने वाले मिंत्रों से सदा सावधान रहना चाहिए। * पापा के कान भरकर छुटकू ने मोनू को पिटवा दिया।
43. खरी-खोटी सुनाना : बुरे वचन कहना
छोटी-सी गलती पर भी मालिक ने राजू को बहुत खरी-खोटी सुनाई।
44. खाक छानना : मारा-मारा फिरना
आजकल पढ़े लिखे नवयुवक भी नौकरी के लिए खाक छानते फिर रहे हैं।
45. खाक में मिलाना : बिलकुल नष्ट कर देना
अमेरिका ने ईराक को खाक में मिला दिया।
46. खून का प्यासा होना : जान लेने पर उतारू होना
आजकल संपत्ति के बंटवारे पर भाई, भाई के खून का प्यासा हो जाता है।
47. खून खौलना : जोश में आना, क्रोधित होना।
अपराधियों को देखते ही इंस्पेक्टर रामप्रसाद का खून खौल उठता है।
48. गड़े-मुर्दे उखाड़ना : पुरानी बातें याद करना।
यदि चारों भाई आपस में प्यार से रहना चाहते है तो गड़े मुर्दे उखाड़ना बंद करो।
49. गागर में सागर भरना : कम शब्दों में अधिक कहना (संक्षेप में अधिक बात कह देना)।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानाचार्य का भाशण गागर में सागर भरने के समान था। * बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया।
50. गिरगिट की तरंह रंग बदलना : सिद्धांतहीन होना
आजकल के नेता तो गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।
51. गुड-गोबर करना : बने बनाए काम को बिगाड़ना
बारिश ने अचानक आकर पिकनिक पर जाने का कार्यक्रम गुड़ गोबर कर दिया।
52. गोबर गणेश होना : एकमद मूर्ख होना।
यदि मुझे पता होता कि संदीप गोबर गणेश है तो मैं कभी उससे मित्रता नहीं करता।
53. घड़ों पानी पड़ना : शर्मिंदा होना
अपने ही मित्र के घर चोरी करतते हुए पकड़े जाने पर समीर पर घड़ों पानी पड़ गया।
54. घाव पर नमक छिड़कना : परेशान व्यक्ति को और अधिक परेशान करना।
तमन्ना अपनी बेटी आशा के कम अंक आने से दुखी थी ऊपर से रिश्तेदार घाव पर नमक छिड़कने आ गए।
55. घी के दीये जलाना : खुशियां मनाना।
प्रशासनिक सेवा के लिए वंदना का चयन होने पर उसके माता-पिता ने घी के दीये जलाए। * मनीष के प्रशासनिक सेवा में चुने जाने पर उसके माता-पिता ने घी के दीये जलाए।
56. घुटने टेकना : हार मानना
पुलिस की मार खाकर चोर ने घुटने टेक दिए।
57. चकमा देना : धोखा देना।
ठग दुकानदान को चकमा देकर घड़ी उठाकर ले गया।
58. चादर से बाहर पैर पसारना : आमदनी से अधिक खर्च करना।
चार बच्चों का पिता गुरदीप चादर से बाहर पैर पसारने के कारण दुखी रहता है। * सुप्रिया पर आरोप लगाना चांद पर थूकना है।
59. चार चांद लगाना : प्रतिष्ठा बढ़ाना।
अग्नि तथा पृथ्वी का सफल परीक्षण करके भारत के वैज्ञानिकों ने देश की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए।
60. चुल्लूभर पानी में डूब मरना : शर्म महसूस करना
अपने ही भाई को धोखा देकर तुमने ठीक नहीं किया अरे, तुम्हें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
61. चूना लगाना : धोखा देना
वे मिलावटी सामान बेचकर लोगों को चूना लगा रहे थे।
62. चेहरे पर हवाइयां उड़ना : डर जाना या घबरा जाना (बहुत घबरा जाना)।
हथियारबंद डाकुओं को देखकर चित्रा के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। * रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने पर मोहन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं।
63. छठी का दूध याद आना : बहुत कष्ट होना।
एक किलोमीटर तक भारी संदूक उठाकर ले जाने में रामेश्वर को छठी का दूध याद आ गया।
64. छप्पर फाड़कर देना : अचानक किसी वस्तु का अत्यधिक मात्रा में मिल जाना
भगवान जिस पर कृपा करते हैं, उसे छप्पर फाड़कर देते हैं।
65. छिपा रुस्तम होना : गुणों को छिपाकर रखने वाला व्यक्ति होना।
वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम आने वाला अतिम तो छिपा रुस्तम निकला।
66. छोटा मुंह बड़ी बात करना : सामर्थ्य से अधिक बोलना।
प्रमोद महावीर पहलवान के सामने बहुत कमजोर है। उसका पहलवान को मुकाबले के लिए ललकारना छोटा मूंह बड़ी बात है।
67. जान के लाले पड़ना : गंभीर विपत्ति में फंसना
बस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर लोगों की जान के लाले पड़ गए।
68. जूती चाटना : चापलूसी करना।
आजकल अधिकांश लोग अधिकारियों की जूती चाटकर ऊंचे पद पा लेते हैं।
69. टका-सा जवाब देना : साफ मना करना।
मैंने रोहित से कुछ देर के लिए उसका स्कूटर मांगा तो उसने टका-सा जवाब दे दिया।
70. टस-से-मस न होना : जरा भी न बदलना
लड़के वाले अपनी अपनी दहेज की मांग से टस-से-मस न हुए।
71. डींग हांकना : बढ़ा-चढ़ा कर बात करना।
मधुमिता सारा दिन डींग हांकती रहती है।
72. तरस खाना : दया करना
भिखारिन पर तरस खाकर मां ने उसे खाना व कपड़े दिए।
73. तिल का ताड़ बनाना : छोटी-सी बात को बहुत अधिक बढ़ावा देना।
कुमुद ने रोहित को उसकी गलती पर टोका ही था किंतु उसने रो-रो कर तिल का ताड़ बना दिया।
74. थाली का बैंगन होना : सिद्धांतहीन होना।
आजकल अधिकांश राजनेता थाली के बैंगन हैं।
75. दबे पांव आना : चुपचाप आना
रात में देर हो जाने के कारण मोहन घर में दबे पांव आया।
76. दांतों तले उंगली दबाना : हैरान होना।
जयंत जैसे लड़के के नब्बे प्रतिशत अंक आए तो सबने दांतों तले उंगली दबा ली। * ताजमहल की सुंदरता को देखकर हरकोई दांतों तले उंगली दबा लेता है।
77. दाल न गलना : सफल न होना।
रमाकांत ने अखिल और अफरोज की मित्रता तोड़ने का बहुत प्रयास किया पर उसकी दाल न गली। गोपाल छुट्टी लेने के लिए लाख कोशिका करता रहा पर मालिक के आगे उसकी दाल न गली।
78. दाल में काला होना : गड़बड़ होना (संदेह होना)।
आजकल अंजुम सेठ दीनानाथ के यहां बहुत जाता है, लगता है दाल में कुछ काला है। * बहुत देर तक सुरेश के कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो लगा दाल में कुछ काला है।
79. धाक जमाना : प्रभाव डालना।
नगमा के पुत्रों ने अपने मधुर व्यवहार से सब पर अपनी धाक जमा ली।
80. नमक-मिर्च लगाना : मनगढ़ंत तीखी बातें बनाना।
गप्पो मौसी इधर-उधर की बातें नामक मिर्च लगाकर सुनाती है।
81. नाक में दम करना : तंग करना।
नए पड़ोसियों ने हमारी नाक में दम कर रखा है।
82. नाकों चने चबवाना : बहुत तंग करना
विजय ने अपनी करतूतों से अपने पिता को नाकों चने चबवा दिए।
83. नानी याद आना : परेशान होना।
गणित पढ़ते हुए बड़े-बड़ों को नानी याद आ जाती हैं।
84. नाम कमाना : यश प्राप्त करना
भगत सिंह ने शहीद होकर स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में नाम कमा लिया।
85. नौ-दो ग्यारह होना : भाग जाना
पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गया।
86. पानी-पानी होना : लज्जित होना।
मैंने संजना को बस्ते से किताब चुराते पकड़ लिया तो वह पानी-पानी हो गई। * चोरी करते रंगे हाथों पकड़े जाने पर विवेक पानी-पानी हो गया।
87. पीठ दिखाना : मैदान छोड़कर भाग जाना
सच्चे योद्धा युद्ध में कभी पीठ नहीं दिखाते थे।
88. फूला न समाना : बहुत प्रसन्न होना
परीक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर शिवाली फूली नहीं समाई।
89. बगुला भगत होना : कपटी व धोखेबाज।
अनुराग से बचकर रहना, वह पूरा बगुला भगत है।
90. बाज न आना : अपनी आदत न छोड़ना
इस बार तुम फिर परीक्षा में नकल करते पकड़े गए। लगता है तुम अपनी आदत से बाज नहीं आओगे।
91. बाल बांका न होना : सुरक्षित रहना
अत्यंत भीषण दुर्घटना थी परंतु वीरेश का बाल भी बांका न हुआ।
92. भीगी बिल्ली बनना : डर जाना (भय आदि के कारण डरकर रह जाना)।
दादा जी के सामने में ही नहीं, पापा भी भीगी बिल्ली बन जाते हैं। * पिता जी के घर में आते सब भीगी बिल्ली बन गए।
93. मक्खियां मारना : निकम्मे रहकर समय बिताना
नौकरी छूट जाने के कारण आजकल अनूप मक्खियां मार रहा है।
94. मजा किरकिरा होना : आनंद में विघ्न पड़ना
अचानक बारिश होने से घूमने का सारा मजा किरकिरा हो गया।
95. मुंह की खाना : पराजित होना
फुटबॉल मैच में सिटी कॉलेज की टीम को राजकीय महाविद्यालय की टीम से मुंह की खानी पड़ी।
96. मुंह ताकना : दूसरों पर निर्भर रहना
जो कर्मशील होते हैं, वे किसी का मुंह नहीं ताकते।
97. मुंह बंद कर देना : चुप कर देना
राकेश ने रिश्वत देकर जांच अधिकारी का मुंह बंद कर दिया।
98. मुंह में पानी आना : लालच आ जाना।
रसगुल्ले देखते ही मिताली के मुंह में पानी आ जाता है। * हलवाई की दुकान देखते ही मेरे मुंह में पानी आ जाता है।
99. मुट्ठी में होना : वश में होना
अब तुम मेरी मुट्ठी में हो, मैं जो कहूंगा वही तुम्हें करना पड़ेगा।
100. रंग में भंग पड़ना : बाधा पड़ना।
किरण की जन्मदिन-पाटी में आराधना की मूर्खता से रंग में भंग पड़ गया।
101. रंग लाना : प्रभाव दिखाना
एक दिन तुम्हारी मेहनत जरूर रंग लाएगी।
102. रंगा सियार होना : धूर्त होना
नितेश पर विश्वास नहीं करना, वह तो रंगा सियार है।
103. लहू का घूंट पीकर रह जाना : मजबूरी के कारण गुस्से को रोक लेना
झगड़ा न बढ़े इसलिए पड़ोसी के अपमानजनक शब्दों को सुनकर भी में लहू का घूंट पीकर रह गया।
104. लाल-पीला होना : क्रोधित होना
अपने ऊपर झूठा आरोप लगता देखकर उमेश लाल-पीला हो गया।
105. लोहे के चने चबाना : संघर्ष करना।
पांच हजार मीटर की दौडत्र जीतने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।
106. श्रीगणेश करना : शुभ आरंभ करना।
रजनीकांत ने अपनी दुकान का श्रीगणेश करने से पहले हवन कराया।
107. सिर उठाना : विद्रोह करना।
भारतीय सैनिकों के समक्ष आंतकवादियों का सिर उठाना कठिन है।
108. हवा से बातें करना : बहुत तेज भागना
राणा प्रताप का घोड़ा चेतक हवा से बातें करता था।
109. हाथ फैलाना : मांगना
तुम हमेशा सबके सामने हाथ फैलाते हो, कुछ कमाते क्यों नहीं।
110. हाथ मलना : पछताना।
आलसी व्यक्ति समय निकल जाने पर हाथ मलते रह जाते हैं।
111. हाथ साफ करना : वस्तु चुरा लेना
छोटे से लड़के ने सबके सामने ही दुकान के माल पर हाथ साफ कर दिया।
112. हाथ-पांव फूलना : घबरा जाना।
परीक्षा निकट आते ही अनुष्का के हाथ पांव फूल जाते हैं।
113. हाथ-पैर मारना : बहुत प्रयत्न करना
नदी में गिर जाने पर राजेश ने बचने के लिए बहुत हाथ-पैर मारे पर बच नहीं सका।
114. होश उड़ जाना : अत्यधिक घबरा जाना
घर के दरवाजे का टूटा हुआ ताला देखकर मेरे तो होश उड़ गए।
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