रहस्यों से भरपूर ब्रह्मांड में एक अनोखी घटना सामने आई है। खगोलविदों को एक ऐसे तारे का पता चला है जो ब्लैक होल से डरकर हमारी आकाशगंगा से बहुत तेजी से बाहर निकल रहा है। एस 5-एचवीएस1 नामक यह तारा हमारी आकाशगंगा के केंद्र से 40 लाख मील प्रति घंटे की रफ्तार से बाहर जा रहा है। यह तारा इस समय धरती के करीब 29 हजार प्रकाश वर्ष दूर है।
Star running from galaxy fearing black hole
टिंग ली की अगुवाई वाली का कार्नेगी ऑब्जर्वेटरी के खगोलविदों कि एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इसका पता लगाया है। इस तारे के अध्ययन के लिए वे ऑस्ट्रेलिया में स्थापित सदर्न स्टेलर स्ट्रीम स्पेक्ट्रोस्कोपी सर्वे टेलिस्कोप का उपयोग कर रहे हैं। ली के अनुसार यह तारा हमारे सूर्य से 2 गुना विशाल होने के साथ ही 10 गुना ज्यादा चमकीला भी है। यह तारा अप्रत्याशित गति से अंतरिक्ष की ओर बढ़ता रहा है।
ब्लैक होल में समा गया था एक तारा
खगोलविदों की परिकल्पना है कि अब ब्लैक होल से बचकर भाग रहा एस 5-एचवीएस1 एक समय दो तारा प्रणाली का हिस्सा था। यह प्रणाली ब्लैक होल के समीप पहुंच गई थी। इसमें से एक तरह ब्लैक होल में चला गया जबकि दूसरा बहुत तेज रफ्तार से दूर जा रहा है।
आकाशगंगा से निकलने में लगेंगे 10 करोड़ साल
खगोलविदों का अनुमान है कि आकाशगंगा से पूरी तरह बाहर निकलने में तारे को करीब 10 करोड़ साल लगेंगे। यह तारा करीब 50 साल पहले तक हमारी आकाशगंगा के केंद्र का हिस्सा था। कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के जैक हिल्स ने 1998 में सबसे पहले आकाशगंगा से इस तारे के निकलने का अनुमान लगाया था।
क्या होता है ब्लैक होल
ब्लैक होल को अंतरिक्ष की सबसे रहस्यमय संरचना जाता है। इसका गुरुत्वकर्सण इतना अधिक होता है कि इसके पास करने वाला कोई भी खगोलीय पिंड इसमें समा जाता है। इसे ब्लैक होल इसलिए कहते है क्योंकि प्रकाश भी इसमें लुप्त हो जाता है। माना जाता है कि कोई विशाल तारा अपने अंतिम समय में ब्लैक होल में तब्दील हो जाता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि हर आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल होता है। जो लगातार अपने आसपास के खगोलीय पिंड, तारों और छोटे ब्लैक होल को अपने अंदर समेटे हुए अपना आकार बड़ा करते जा रहे हैं।
ब्लैक होल का द्रब्यमान सूर्य से 40 लाख गुना
खगोलविद यूरोपीय स्पेस एजेंसी के गाया स्पेसक्राफ्ट की मदद से तारों पर नजर रखी जा रही है। उनका कहना है कि यह तारा जिस सेगिटेरियस-ए नामक ब्लैक होल से बच कर भाग रहा है उसका द्रव्यमान सूर्य से 40 लाख गुना ज्यादा है। इस स्पेसक्राफ्ट की मदद से अब तक 1.3 अरब तारों की स्थिति का खाका तैयार किया जा चुका है।
नोट :- यह आर्टिकल अमेरिका न्यूयॉर्क टाइम्स से लिया गया है।
Leave a Comment